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अफगानिस्तान के मानवीय संकट के आर्थिक कारण

तालिबान और बैंकिंग व्यवस्था पर लगे प्रतिबंधों से संबंधित प्रश्न और उत्तर

अफगानिस्तान के काबुल में ग्राहकों का इंतजार करता एक मांस विक्रेता. अफगानिस्तान में कई बाजार खुले हैं लेकिन अधिकांश घरों के पास भोजन खरीदने के लिए नकदी की कमी है. 21 फरवरी, 2022. © 2022 एपी फोटो/हुसैन मल्ला

 

अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति कितनी गंभीर है?

अगस्त 2021 में अमेरिका की वापसी और तालिबान के सत्तासीन होने के बाद, अफगानिस्तान लगातार बदतर होते मानवीय संकट से जूझ रहा है. गंभीर कुपोषण अब पूरे देश में अपनी जड़ें जमा चुका है. लगभग एक साल से 90 फीसदी अधिक परिवारों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की मूल्यांकन प्रणाली के मुताबिक लगभग 2 करोड़ लोग - आधी आबादी - या तो स्तर-3 "संकट" या स्तर-4 "आपातकालीन" खाद्य असुरक्षा स्तर में हैं. हाल ही में, डब्ल्यूएफपी ने बताया कि घोर प्रांत में दसियों हज़ार लोग "विनाशकारी" स्तर-5 के घातक कुपोषण की चपेट में हैं, जो अकाल का पूर्व संकेतक है. डब्ल्यूएफपी ने कहा है कि अफगानिस्तान "वैश्विक तौर पर सबसे अधिक अपर्याप्त खाद्य खपत संकट से गुजर रहा है."

मानवतावादी संगठनों ने संकट की व्यापकता और तबाही की बढ़ती आशंका के बारे में बार-बार चेतावनी दी है. वे देश में जबरदस्त भुखमरी और मौतों का मुख्य कारक आर्थिक आघातों को बताते हैं. जुलाई के अंत में, डब्ल्यूएफपी ने पारिवारिक आय, जो कि पहले से ही अत्यधिक कम स्तर पर है, में 10 प्रतिशत की "खतरनाक" गिरावट की ओर इशारा किया और साथ ही खाद्य लागत बढ़ने की भी बात कही.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया है कि गंभीर कुपोषण के कारण हर माह हजारों बच्चों को आपातकालीन चिकित्सा उपचार के लिए भर्ती किया जा रहा है; दूरदराज इलाकों में बहुत से लोगों को मदद नहीं मिल पा रही है और वे भूख से मर रहे हैं. 5 वर्ष से कम उम्र के दस लाख से अधिक बच्चे - विशेष रूप से भोजन से वंचित होने पर मरने के खतरे का सामना कर रहे बच्चे  - लंबे समय से गंभीर कुपोषण का शिकार हैं, जिसका अर्थ है कि अगर वे जीवित रहते हैं तो भी उन्हें अवरुद्ध विकास सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

अंतर्राष्ट्रीय रेस्क्यू कमिटी ने इस साल की शुरुआत में कहा था, "वर्तमान मानवीय संकट को अगर दूर नहीं किया गया तो 20 वर्षों के युद्ध से अधिक मौतें हो सकती हैं." सेव द चिल्ड्रन,  अफगानिस्तान के कंट्री डायरेक्टर ने फरवरी के मध्य में कहा:

मैंने अफगानिस्तान जैसी निराशाजनक स्थिति कभी नहीं देखी. हम हर दिन भयावह रूप से बीमार ऐसे बच्चों का इलाज करते हैं जिन्होंने महीनों से रोटी के अलावा कुछ नहीं खाया है. माता-पिता को बहुत कठिन फैसले लेने पड़ रहे हैं - वे अपने बच्चों में से किसका पेट भरें? वे अपने बच्चों को काम पर भेजें या उन्हें भूखा रहने दें? ये ऐसे दर्दनाक विकल्प हैं जिनका चुनाव कोई माता-पिता नहीं करना चाहेगा.

मानवीय कार्यों में लगे एक अफगान अधिकारी ने जुलाई के मध्य में ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया: “लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है. आप शायद इसकी कल्पना न करें, लेकिन बच्चे भूखे मर रहे हैं, बहुत भयावह स्थिति है, खासकर गांवों में.” उन्होंने आगे बताया कि वह व्यक्तिगत रूप से एक ऐसे परिवार को जानते हैं, जिसने पिछले दो माह  में 2 और 5 साल के दो बच्चों को भूख से खो दिया. उन्होंने बताया कि वह खाद्यान की किसी भी तरह की कमी से अनभिज्ञ हैं. मौजूदा संकट के लिए आर्थिक कारणों को जिम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा: "इस मानवीय संकट को दूर करने के लिए तत्काल एक कार्यशील बैंकिंग प्रणाली बहुत आवश्यक है."

 

मानवीय संकट ने महिलाओं और लड़कियों को किस तरह प्रभावित किया है?

लगभग सभी अफगान इन खतरनाक स्थितियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन महिलाएं और लड़कियां, जिन्हें भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय संसाधन प्राप्त करने में अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है, बेहिसाब तौर पर प्रभावित हुई हैं. तालिबान की नीतियां महिलाओं को ज्यादातर वेतन वाली नौकरियां प्राप्त करने से रोकती हैं और इस नीति का उन घरों पर द्रुतगामी और विनाशकारी प्रभाव पड़ा है जिनमें एकमात्र या मुख्य कमाई करने वाला व्यक्ति महिलाएं हैं. डब्ल्यूएफपी सर्वेक्षण से बार-बार संकेत मिलते हैं कि लगभग सभी महिला प्रधान परिवारों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है और लगभग सभी भोजन प्राप्त करने के लिए जरूरी घरेलू सामान बेचने, बच्चों को काम पर भेजने या दहेज के लिए युवा लड़कियों की शादी करने जैसे "कठोर फैसले" ले रही हैं. यहां तक कि मुख्य रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे जिन क्षेत्रों में महिलाओं को अभी भी काम करने की अनुमति है, वहां भी वे अक्सर दमनकारी तालिबान शर्तों - जैसे कि परिवार के पुरुष सदस्य द्वारा उन्हें कार्यस्थल तक पहुंचाना और यहां तक कि उन्हें पूरे कार्यदिवस तक साथ रखना - का पालन करने में असमर्थ हो रही हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन वीमेन की प्रतिनिधि एलिसन डेविडियन ने जुलाई में कहा:

महिलाओं ने बताया कि कैसे महरम [पुरुष संरक्षक] की शर्त उनके जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है - ब्रेड खरीदने और अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाज़ार जाने की उनकी स्वतंत्रता से लेकर घर में निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने की उनकी क्षमता तक. महिलाओं ने चेहरा ढंकने की अनिवार्यता को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी बढ़ती अनुपस्थिति का कारण बताया. कुछ महिलाओं ने मुझसे कहा कि वे अभी भी बिना महरम के बाजार जाती हैं, लेकिन उन्हें डर है कि किसी दिन बिना पुरुष के किराना का सामान खरीदने से उन्हें रोका और पीटा जाएगा.

अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बमुश्किल काम कर रही है, जिसका मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और महिलाओं एवं लड़कियों की यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं, जो पहले से ही पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं थीं, तक पहुंच पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ा है. तालिबान ने यह अनिवार्य कर दिया है कि परिवार के पुरुष सदस्य महिलाओं को स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाएं. साथ ही इसने पुरुष स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा महिलाओं का इलाज पर प्रतिबंध लगा दिया है. ये प्रतिबंध स्वास्थ्य सुविधाओं तक महिलाओं की पहुंच को और सीमित कर रहे हैं.

तालिबान ने लड़कियों के लगभग सभी माध्यमिक विद्यालयों को बंद कर दिया है जिससे लड़कियां शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रही हैं. तालिबान की इस कार्रवाई और बढ़ती गरीबी ने लड़कियों के लिए ऐसे स्कूलों में भी पढ़ना बहुत कठिन बना दिया है जो सिर्फ लड़कियों के लिए चलाए जा रहे हैं. इन सबसे बाल विवाह का खतरा बढ़ गया है. मानवतावादी समूहों और मीडिया ने परिवारों द्वारा लड़कियों को "बेचने" की सूचना दी है, यानी ऐसे परिवार जो भोजन प्राप्त करने या कर्ज चुकाने की हताशा में अपनी बेटियों की शादी के बदले नकद या अन्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं.

 

आर्थिक संकट कैसे मानवीय संकट पैदा कर रहा है?

अफ़गानों के लिए भोजन, पानी, आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल की कमी के मूल कारणों में लगभग सभी आर्थिक हैं: आय में लाखों डॉलर की कमी, कीमतों में बढ़ोतरी और देश के बैंकिंग क्षेत्र का ढह जाना. व्यापक सूखा और दशकों चले युद्ध के प्रभाव जैसे अन्य कारक भी देश के मानवीय संकट के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन बिगड़ती स्थिति के प्राथमिक कारण आर्थिक आघात रहे हैं.

अगस्त 2021 के बाद, पांच में से चार से अधिक अफगान परिवारों की आय में महत्वपूर्ण कमी हुई है या उनके आय के स्रोत ख़त्म हो गए हैं. साथ ही, अगस्त 2021 में अमेरिका और अन्य सरकारों द्वारा अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक, आधिकारिक तौर पर दा अफगानिस्तान बैंक, को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली से काट देने के फैसले से देश की समग्र अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली लगभग पूरी तरह चरमरा गई है. इससे देश में बड़े पैमाने पर नकदी की उपलब्धता का संकट पैदा हो गया और अमेरिकी डॉलर एवं अफगान मुद्रा अफगानी, दोनों के बैंक नोटों की देशव्यापी कमी हो गई.

जैसा कि सेव द चिल्ड्रन के कंट्री डायरेक्टर ने 2022 की शुरुआत में कहा, "यहां भोजन की कोई कमी नहीं है - बाजार भरे हुए हैं. फिर भी बच्चे भूख से मर रहे हैं क्योंकि उनके माता-पिता भोजन के लिए पैसे का भुगतान नहीं कर सकते. इसे रोका जा सकता था और ऐसा किया जाना चाहिए था." लेकिन डब्ल्यूएफपी सर्वेक्षणों के अनुसार 2022 में आय और सहायता में सुधार नहीं हुआ है और मई एवं जून में मजदूरी घटी है.

निजी अफगान बैंक मानवीय सहायता संगठनों सहित जमाकर्ताओं को निकासी की सुविधा प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यहां तक ​​कि जब मानवीय कार्यों, मजदूरी या भेजी हुई रकम (रीमिटन्स) के भुगतान के लिए बैंकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से धन राशि भेजी जाती है, तब भी नकदी की कमी के कारण बैंकों से धन निकासी नहीं की जा सकती. सेंट्रल बैंक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान ने, यूएस और अफ़ग़ान दोनों नोटों की कमी के कारण, निजी बैंकों द्वारा बैंक नोटों के हस्तांतरण पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और अफ़ग़ानी की निकासी सीमाएं तय की हैं, जबकि अमेरिकी डॉलर में कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को भी प्रतिबंधित कर दिया है. निजी बैंकों के पास निकासी की सुविधा प्रदान करने के लिए पर्याप्त स्थानीय मुद्रा की कमी है, उनके पास नकद डॉलर बहुत कम है या बिल्कुल नहीं है तथा जमा राशि पर महत्वपूर्ण परिसंपत्ति के बिना, वे और ज्यादा उधार देने में असमर्थ हैं. 

बैंकों को देश के बाहर के निजी बैंकों के संबंधित खातों के माध्यम से आने वाले डॉलर के लेन-देन के निपटारे में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, संभवतः विदेशी बैंकों का यह  डर इस कारण है कि कहीं वे ऐसे लेन-देन के जरिए तालिबान पर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं.

 

आखिर अफगान अर्थव्यवस्था क्यों चरमरा गई?

अफगानिस्तान के आर्थिक पतन के कई कारक हैं. मोटे तौर पर इसके लिए सरकार एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के निर्णय संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं और व्यापक तौर पर यह अगस्त 2021 में शासन में हुए बदलाव के मानवीय प्रभावों को टालने के लिए अमेरिका और तालिबान के समझौतों तक पहुंचने में विफलता का परिणाम है. संकट के बुनियादी कारणों में शामिल हैं:

  • आवश्यक वेतन और व्यापक गरीबी उन्मूलन खाद्य सुरक्षा तंत्र के लिए सहायता निलंबित करना: अगस्त 2021 से पहले अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था विदेशी सहायता पर 75 फीसदी निर्भर थी. 15 अगस्त, 2021 को देश पर तालिबान के नियंत्रण के बाद, अमेरिका के नेतृत्व वाली दाता सरकारों ने विश्व बैंक को बाहरी अंतर्राष्ट्रीय सहायता में लगभग 200 करोड़ डॉलर की कटौती करने का निर्देश दिया. पहले यह राशि लाखों शिक्षकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आवश्यक सेवा के अन्य कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्टिव ट्रस्ट फंड (एआरटीएफ) और अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के माध्यम से वितरित की जा रही थी.

इन भारी वित्तीय सहायताओं ने लाखों अफगान परिवारों को क्रय शक्ति प्रदान की, जिसमें बड़ी संख्या में बहुत गरीब परिवार भी शामिल थे. ये सब काम के बदले नकद, नकद वितरण और आजीविका सहायता कार्यक्रमों से लाभान्वित हुए. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ), यूएसएड और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी वित्तीय सहायता में कटौती की. इसके प्रत्यक्ष परिणाम के तौर पर, बड़ी संख्या में अफगान परिवारों की  आय के प्राथमिक तुरंत ख़त्म हो गए. जुलाई में जारी डब्ल्यूएफपी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2021 के बाद लगभग सभी अफगान परिवारों को कोई आय नहीं हुई है या उनकी आय में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है.

विश्व बैंक के कार्यक्रमों में अचानक कटौती से देश भर में क्रय शक्ति में भारी गिरावट आई और इसका पारिवारिक एवं बृहत् अर्थव्यवस्था, दोनों स्तरों पर पर गहरा असर पड़ा. भले ही मानवतावादी समूह भविष्य में खाद्यान्न और नकद वितरण बढ़ाने में सक्षम हों, लेकिन वे इन कटौतियों के दुष्प्रभावों की भरपाई नहीं कर सकते.

  • अफगान सेंट्रल बैंक की साख को ख़त्म करना: अगस्त 2021 में, अमेरिका, अन्य सरकारों और विश्व बैंक समूह ने भी अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (विश्व बैंक, आईएमएफ, एडीबी, और अन्य) और कई देशों की घरेलू बैंकिंग प्रणाली के साथ बातचीत करने संबंधी अफगान सेंट्रल बैंक की साख को ख़त्म कर दिया. उसी समय, अफगान सेंट्रल बैंक के अधिकांश नेतृत्वकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया और अफगानिस्तान छोड़ कर चले गए.

काबुल पर अधिकार करने के लगभग एक सप्ताह बाद तालिबान ने नया वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक का प्रमुख नियुक्त किया. हालांकि, उनमें किसी को भी अन्य सरकारों द्वारा सेंट्रल बैंक के अधिकृत प्रतिनिधियों के रूप में अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करने या सेंट्रल बैंक के अफगानिस्तान से बाहर स्थित खातों या परिसंपत्तियों का इस्तेमाल करने के लिए मान्यता नहीं दी गई है.

विश्व बैंक में, अमेरिकी सरकार ने सेंट्रल बैंक की साख ख़त्म करने के लिए बोर्ड में अपनी प्रभावशाली स्थिति का इस्तेमाल किया, जिससे सेंट्रल बैंक को विश्व बैंक से कोई भी परिसंपत्ति, अनुदान या सहायता प्राप्त करने से रोक दिया गया. किसी भी स्थिति में, विश्व बैंक इन निधियों को सेंट्रल बैंक को स्थानांतरित नहीं कर पायेगा क्योंकि  अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली तक सेंट्रल बैंक की पहुंच नहीं रह गई है.

अन्य देशों में, अमेरिका और अन्य सरकारों ने सेंट्रल बैंक की साख को मान्यता देना बंद कर दिया, जिसने सेंट्रल बैंक को उनके केंद्रीय बैंकों में जमा विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने से रोक दिया. इन केंद्रीय बैंकों में न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूरोप स्थित अन्य केंद्रीय बैंक शामिल हैं, जिसके पास कुल मिलाकर अफ़ग़ानिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 9 अरब डॉलर जमा है और इसका बड़ा हिस्सा, 7 अरब डॉलर, न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व के पास है. यह 9 अरब डॉलर अफगानिस्तान की कुल संप्रभु धन राशि का हिस्सा है. विशेष रूप से, लगभग 1 अरब डॉलर की परिसंपत्ति अफगानिस्तान के व्यवसायियों समेत निजी लोगों द्वारा जमा की गई है.

इन फैसलों ने सेंट्रल बैंक को डॉलर के लेन-देन का निपटारा करने, आवश्यक भुगतान करने, निजी बैंकों हेतु डॉलर की नीलामी के लिए बैंक नोट खरीदने या विश्व बैंक को बकाया राशि का भुगतान करने हेतु अल्पकालिक तरलता प्रदान करने के लिए प्रतिभूति के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने से रोक दिया है. इसने फौरी तौर पर  सभी बैंकों के लिए नकदी और अमेरिकी डॉलर एवं अफगानी नोटों की कमी की समस्या  बढ़ा दी है.

अमेरिका और तालिबान के अधिकारियों ने 2022 तक सेंट्रल बैंक ऑफ अफगानिस्तान को अपने कुछ मुख्य कार्यों को फिर से शुरू करने की अनुमति संबंधी समझौते पर राजनयिक वार्ता की है, लेकिन वे सेंट्रल बैंक की संरचना और नेतृत्व संबंधी मतभेदों को सुलझाने में विफल रहे हैं. इनमे कुछ मतभेद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा तालिबान नेतृत्व पर पूर्व में लगाए गए प्रतिबंधों से संबंधित हैं.

खबरों के मुताबिक अमेरिका ने एक समझौता प्रस्तावित किया है जिसके तहत स्विट्जरलैंड में एक स्वतंत्र तीसरा पक्ष सेंट्रल बैंक ऑफ अफगानिस्तान के ट्रस्टी के रूप में कार्य करेगा जिसके जरिए सेंट्रल बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल और अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करेगा. लेकिन अमेरिका ने यह भी मांग की है कि प्रतिबंधित नेताओं को सेंट्रल बैंक के उनके पदों से हटाया जाए. जून और जुलाई में, तालिबान ने अमेरिकी अधिकारियों से फिर मुलाकात की; अगस्त की शुरुआत में यह साफ़ नहीं है कि सेंट्रल बैंक की साख को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर अमेरिका और तालिबान पुनः कब बातचीत करेंगे या किसी समझौते पर पहुंचेंगे.

 

प्रतिबंध आर्थिक संकट से कैसे जुड़े हुए हैं?

वर्तमान में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य सरकारों ने जो प्रतिबंध लगाए हुए हैं, वे 1998 में अल कायदा द्वारा अफ्रीका में दो अमेरिकी दूतावासों पर हमले के बाद तालिबान और उसके वरिष्ठ नेतृत्व पर लगाए गए थे. ये प्रतिबंध तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में अलकायदा को आश्रय देने के लिए दंडित करने के उद्देश्य से लगाए गए. इन प्रतिबंधों में 2008 में नए प्रावधान जोड़े गए और तब से इन्हें कई बार यूएस, यूके और अन्य सरकारों द्वारा अनुकूलित किया जा चुका है. वे मूल रूप से तालिबान को एक सशस्त्र समूह मानते हैं, सरकार नहीं और इसके नेताओं को व्यक्ति विशेष के रूप में देखते हैं.

अमेरिका और अन्य ने तालिबान और अब इसके द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के खिलाफ जो आर्थिक कार्रवाइयां की हैं, वे विद्यमान प्रतिबंधों से अलग हैं.

संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा पूर्व में लगाए गए प्रतिबंध सेंट्रल बैंक ऑफ अफगानिस्तान पर स्वतः लागू नहीं होते हैं. स्वयं अफगानिस्तान, इसकी संप्रभु कानूनी या वास्तविक सरकार, या किसी भी सरकारी संस्था के खिलाफ कोई प्रतिबंध नहीं है. अफगान सेंट्रल बैंक पर भी कोई प्रतिबंध नहीं है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य द्वारा प्रतिबंधित तालिबान नेताओं में से कुछ अभी नए तालिबान प्रशासन में मंत्री हैं, जैसे कि वित्त मंत्री, गुल आगा इशकजई. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक में नियुक्त दो वरिष्ठ अधिकारी भी अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित नेताओं की सूची में हैं.

इसके बावजूद, अगस्त 2021 के बाद, तालिबान और उसके कई वरिष्ठ नेताओं पर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के मौजूदा प्रतिबंधों के कारण अफगानिस्तान के बाहर के कई बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने अफगान बैंक खातों से जुड़े अधिकांश लेनदेन को इस डर से, सही या गलत तौर पर प्रतिबंधित या अवरुद्ध कर दिया है कि ऐसा करने पर उन्हें अमेरिकी सरकारी तंत्र द्वारा जुर्माना या अभियोजन का सामना करना पड़ सकता है. (अफ़ग़ान बैंकों के साथ अमेरिकी डॉलर के बड़े मूल्यवर्ग के लेन-देन के "निपटारे" के लिए अंततः अमेरिका-आधारित बैंक के "संबंधित" खाते के सहयोग की जरूरत होती है.)

सितंबर और दिसंबर 2021 और फरवरी 2022 में, यूएस ट्रेजरी ने कई "लाइसेंस" और मार्गदर्शक दस्तावेज जारी किए जो अमेरिकी कानून के अधीन बैंकों और अन्य संस्थाओं को अधिकृत करते हैं कि वे आवश्यक या आकस्मिक मानवीय सहायता कार्यों या वैध वाणिज्यिक गतिविधियों (जैसे रीमिटन्स) के लिए अफगानी सरकारी संस्थाओं के साथ कई तरह की मानवीय सहायता गतिविधियों और लेनदेन में शामिल हो सकते है. यूके और यूरोपीय संघ की कई सरकारों ने भी ऐसे ही लाइसेंस या मार्गदर्शक दस्तावेज जारी किए हैं. 25 फरवरी, 2022 को जारी यूएस ट्रेजरी लाइसेंस और नए मार्गनिर्देश सेंट्रल बैंक के साथ तकनीकी रूप से लेनदेन को अधिकृत करते हैं.

हालांकि, सेंट्रल बैंक स्वयं अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली से कट गया है और विदेशी खातों में जमा अपनी परिसंपत्ति का उपयोग नहीं कर सकता है, क्योंकि अमेरिका और अन्य देश के केंद्रीय बैंक और विश्व बैंक अब तक किसी भी मौजूदा बैंक अधिकारी को सुयोग्य नहीं मानते हैं.

इसके अलावा, अनेक विदेशी बैंक आम तौर पर अफगान बैंकों से जुड़े विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए इच्छुक नहीं हैं. मानवीय सहायता संगठनों, अफगान बैंकों के अधिकारियों और निजी लोगों ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया है कि हालांकि लंबे समय से मान्यता प्राप्त खातों से जुड़े कुछ बड़े लेन-देन अब फिर से शुरू हो गए हैं, लेकिन बहुत से इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन अभी भी अवरुद्ध हैं.

मानवीय सहायता कार्यों में लगे लोगों के बीच संयुक्त राष्ट्र के आंतरिक सर्वेक्षण और सहायता कार्य में संलग्न समूहों के साथ ह्यूमन राइट्स वॉच की बातचीत के अनुसार, अफगानिस्तान में काम करने वाली अधिकांश मानवीय सहायता एजेंसियां ​​अफगानिस्तान में धन भेजने, वेतन भुगतान करने और नकद प्राप्त करने के लिए अनौपचारिक और बड़े पैमाने पर अनियमित हवाला कारोबार या सर्राफ, या मनी एक्सचेंजर्स का उपयोग कर रही हैं. हालांकि, इनके जरिए लेन-देन की लागत बहुत अधिक है जो कि कभी-कभी 10 फीसदी से अधिक हो जाती है. साथ ही किसी भी स्थिति में इनके जरिए उतने बड़े पैमाने पर लेन-देन नहीं हो सकता जितने बड़े दायरे में ये समूह मानवीय सहायता कार्य करना चाहते हैं, जिसमें सैकड़ों मिलियन डॉलर की नकद सहायता शामिल है.

 

क्या बाइडन प्रशासन ने अमेरिका में अफगान विदेशी मुद्रा भंडार को जब्त कर लिया?

तालिबान के सत्तासीन होने के बाद, अमेरिकी ट्रेजरी ने न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व में अफगान सेंट्रल बैंक की साख की मान्यता ख़त्म कर दी, जिससे सेंट्रल बैंक के लिए वहां से निकासी करना बंद हो गया, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका ने परिसंपत्तियों को अवरुद्ध या जब्त नहीं किया है.

इसके बाद, 11 फरवरी, 2022 को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने कुछ मुद्रा भंडार को अवरुद्ध करने समेत इसे प्रभावित करने वाले कई जटिल कदम उठाए - लेकिन सार्वजनिक रूप से अपने फैसलों की विस्तृत जानकारी नहीं दी. नतीजतन, कई मीडिया रिपोर्ट में भ्रामक रूप से बताया गया कि अमेरिका अफगानिस्तान के 7 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को दो भागों में बांट रहा है, इसका आधा - 3.5 अरब डॉलर - "अफगान लोगों" के लाभार्थ एक ट्रस्ट फंड में नियत रखा जाएगा, जबकि दूसरे हिस्से को 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए हमलों के पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा. यह रिपोर्ट सही नहीं थी.

इसके बजाय, 11 फरवरी को राष्ट्रपति बाइडन ने औपचारिक रूप से कार्यकारी आदेश जारी कर अमेरिका में जमा अफगानिस्तान के पूरे 7 अरब डॉलर मुद्रा भंडार को आधिकारिक तौर पर जब्त या "अवरुद्ध" कर दिया और उन्हें न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व में एक खाते में स्थानांतरित कर दिया. अमेरिकी ट्रेजरी ने तुरंत एक "लाइसेंस" जारी कर न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व को आदेश दिया गया कि वह इन परिसंपत्तियों में से 3.5 अरब डॉलर अफगान सेंट्रल बैंक के नाम पर एक अलग खाते में स्थानांतरित कर दे. फिर इसने ऐसे खाते में या संस्था या निकाय को इस धन के हस्तांतरण की अनुमति दी जो "अफगान लोगों के लाभार्थ और अफगानिस्तान के भविष्य के लिए" इसका उपयोग करेंगे. इनमें विश्व बैंक ट्रस्ट फंड; अन्य ट्रस्ट खाते; "संयुक्त राष्ट्र कोष, कार्यक्रम, विशेष एजेंसी;" या अन्य "संस्था या निकाय" शामिल हैं. प्रशासन ने बाद में स्वीकार किया कि अन्य संस्थाओं या निकायों में सेंट्रल बैंक - दूसरे शब्दों में, अफगानिस्तान में सेंट्रल बैंक का अपना खाता या अन्य देशों में इसके अपने बैंक खाते भी शामिल हैं.

प्रशासन द्वारा नियत 3.5 अरब डॉलर अमेरिकी कानून के तहत अब औपचारिक रूप से अफगान सेंट्रल बैंक की संपत्ति हैं और तकनीकी रूप से किसी भी समय इसकी निकासी की जा सकती है और बैंक द्वारा "अफगान लोगों के लाभार्थ" लेन-देन या गतिविधियों के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते अमेरिका द्वारा बैंक के किसी अधिकृत अधिकारी को ऐसा करने के लिए मान्यता दी गई हो. 11 फरवरी के लाइसेंस में उद्धृत यूएस फेडरल रिजर्व कानून के तहत, यह प्रतिनिधि ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रमाणित होना चाहिए जिसे अमेरिकी विदेश विभाग ने "विदेशी राज्य" के "संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार के लिए अधिकृत प्रतिनिधि ..." के रूप में मान्यता दी हो. लेकिन अमेरिका ने ऐसे किसी भी प्रतिनिधि या ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रमाणित बैंक अधिकारी को मान्यता नहीं दी है. लिहाजा, ऐसी स्थिति में मुद्रा भण्डार का बैंक इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. यह संभव है कि बैंक ट्रस्टी के रूप में एक तीसरे पक्ष को नियुक्त किया जाए, खबरों के मुताबिक, अमेरिका इस संबंध में अगस्त में तालिबान अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहा है.

ह्यूमन राइट्स वॉच व्यापक आर्थिक प्रतिबंधों और किसी भी राष्ट्र के संप्रभु धन को जब्त करने का विरोध करता है. ऐसे धन किसी देश के लोगों के लिए नियत धन होते हैं और खास तौर पर ऐसे प्रतिबंध आम आबादी को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं.

 

क्या बाइडन प्रशासन ने 11 सितंबर के हमलों के पीड़ित परिवारों की खातिर 3.5 अरब डॉलर  अफगान मुद्रा भंडार अलग कर लिया है?

राष्ट्रपति बाइडन के 11 फरवरी के आदेश के तहत, शेष 3.5 अरब डॉलर की अवरुद्ध परिसंपत्ति  फ़्रीज़ किए हुए खाते में रहेगी. यह स्पष्ट रूप से तालिबान के खिलाफ़ अपने पक्ष में संघीय अदालत का फैसला प्राप्त कर चुके 11 सितंबर के पीड़ित परिवारों को इजाज़त देगा कि फ़ैसले के आलोक में हर्जाना प्राप्त करने के लिए अदालत में मुकदमा करें. 11 सितंबर के कुछ पीड़ित परिवारों ने इस उद्देश्य के लिए धन के इस्तेमाल का विरोध किया है.

हालांकि, ऐसा नहीं लगता है कि संघीय अदालत वादी के पक्ष में फैसला सुनाएगी. अमेरिकी कानून वादी को हुए किसी नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए किसी देश के केंद्रीय बैंक की परिसंपत्ति प्राप्त करने की अनुमति नहीं देता है, जब तक कि जिस सरकार के लिए केंद्रीय बैंक कार्य करता है, वह सरकार एक "आतंकवादी," "आतंकवादी संगठन," या "आतंकवाद के प्रायोजक राज्य" के रूप में निर्दिष्ट न हो. अफगानिस्तान राज्य को इनमें से किसी भी रूप में निर्दिष्ट नहीं किया गया है.

वादी से संबंधित पिछले फैसले भी तालिबान के खिलाफ रहे हैं, न कि अफगानिस्तान राज्य के खिलाफ. अमेरिकी कानून के तहत, किसी विदेशी केंद्रीय बैंक के नाम पर खाते में जमा धन को किसी निजी पक्ष के धन के बजाए उस बैंक और उसके देश से संबंधित माना जाता है. इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका ने यह निर्णय नहीं लिया है कि तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता दी जाए या नहीं, और और न ही यह फैसला लिया है कि यह किसी देश की सरकार के रूप मान्यता प्राप्त नहीं है जो अमेरिकी कानून के तहत ऐसी सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका में अवस्थित अपनी संपत्ति की हकदार नहीं हैं.

 

क्या राष्ट्रपति बाइडन के 11 फरवरी के आदेश को बदला या पलटा जा सकता है?

बाइडन के 11 फरवरी के आदेश को वापस लिए जाने की संभावना नहीं है, जब तक कि राष्ट्रपति खुद ऐसा न करें. प्रतिबंधों से संबंधित राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेशों को चुनौती देने के  बहुत कम कानूनी आधार मौजूद हैं.

साथ ही, मौजूदा मुकदमों में धीमी प्रगति को देखते हुए, अवरुद्ध किए गए 3.5 अरब डॉलर के संबंध में किसी भी तात्कालिक निर्णय की संभावना बेहद कम है.

अफगानिस्तान संकट की गंभीरता को देखते हुए, विश्व बैंक द्वारा संचालित ट्रस्ट फंड के पास उपलब्ध धन और 3.5 अरब डॉलर की मौजूदगी जो कि प्रकट तौर पर अवरुद्ध नहीं है, लेकिन तकनीकी रूप से निकासी के लिए उपलब्ध है, केंद्रीय बैंक की साख को बहाल करना प्राथमिक मुद्दा बना हुआ है. यदि इसे हल कर लिया जाता है, तो देश की अनेक आर्थिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.

 

क्या विदेशी सहायता बढ़ाने से मानवीय संकट ख़त्म हो सकता है?

मानवीय सहायता कार्यक्रम अफगानिस्तान के मानवीय संकट के गंभीर प्रभावों को कम करने और बहुत से लोगों को वास्तविक राहत प्रदान करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वे इस संकट की विकरालता को देखते हुए पर्याप्त नहीं हैं. मानवीय सहायता संगठनों ने बार-बार चेतावनी दी है कि देश की पूरी आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कोई भी सहायता राशि नाकाफ़ी है.

विश्व बैंक ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में मदद और काम के बदले नकद कार्यक्रमों के लिए करोड़ों डॉलर की अतिरिक्त राशि जारी करना शुरू कर दिया है. लेकिन भले ही मानवीय सहायता के लिए अतिरिक्त अरबों डॉलर उपलब्ध कराए जाएं, वर्तमान में मौजूद केंद्रीय बैंकिंग अक्षमताएं इसके फायदों को सीमित कर देंगी. इतने बड़े स्तर पर वित्तीय लेन-देन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग आवश्यक है; व्यावहारिक रूप से उन्हें बाहरी संस्थाओं द्वारा कागजी नोटों के रूप में उड़ानों से अफगानिस्तान में न तो भेजा जा सकता है और न ही इस रूप में यहां खर्च किया जा सकता है. अभी संयुक्त राष्ट्र की उड़ानों के जरिए देश में जितनी कागजी मुद्रा छोटे-छोटे खेप में भेजी जा रही है, उसका करीब 10 फीसदी या शायद इससे भी अधिक लेनदेन लागत, बीमा और शुल्क आदि में खर्च हो जाता है. एक कार्यशील बैंकिंग प्रणाली के बिना, संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में चलाई जा रही मानवीय सहायता गतिविधियां बहुत कठिन हो गई हैं; कुछ का तो परिचालन पूरी तरह से बंद करना पड़ा है. मानवीय सहायता कार्य में लगी संस्थाओं, वैध व्यवसायों और सामान्य अफगान नागरिकों के कामकाज के लिए बैंकों तक पहुंच जरूरी है.

अफ़ग़ानिस्तान को एक मान्यता प्राप्त केंद्रीय बैंक की आवश्यकता है या फिर किसी निजी बैंक की जिसे केंद्रीय बैंक की तरह कार्य करने हेतु परिसम्पतियों पर प्राधिकार और पहुंच हासिल हो.  देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए अंततः अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक या इसके समकक्ष दूसरे बैंक को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली का उपयोग कर लेन-देन करने की अनुमति देनी होगी.

 

सेंट्रल बैंक को परिसंपत्तियों पर अधिकार देने से क्या तालिबान यह धन राशि नहीं हथिया सकता?

अगस्त 2021 में सत्तासीन होने के बाद, तालिबान अधिकारियों ने मनमाने ढंग से कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और पूर्व सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया है और उन पर हमले किए हैं. उन्होंने ऐसी नीतियां और तौर-तरीके थोपे हैं जो अन्य बुनियादी अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं और लड़कियों के शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और स्वतंत्र आवाजाही के अधिकारों का उल्लंघन करते  हैं. ऐसे हालात में, जाहिर है कि दान देने वाली सरकारें ऐसी कार्रवाइयों और उपायों को लागू नहीं करना चाहती हैं जो तालिबान शासन को मजबूत करते हों या अधिकारों के उल्लंघन को और बढ़ावा देते हों.

साथ ही, अफगानिस्तान का गहराता आर्थिक और मानवीय संकट पहले से ही अफगानों के बुनियादी अधिकारों - भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और मुख्य रूप से जीवन के अधिकार – को  व्यापक तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है और स्थिति लगातार बद्तर होती जा रही है. तालिबान के अतीत और वर्तमान के उत्पीड़नों के कारण अफगान लोगों, खास तौर से महिलाओं और लड़कियों पर अधिकारों के उल्लंघन के दुष्प्रभावों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए.

व्यावहार में, तालिबान द्वारा धन राशि के इस्तेमाल से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए तकनीकी और राजनयिक समाधान मौजूद हैं, ये ऐसे उपाय हैं जो तालिबान के नियंत्रण से मुक्त करने हेतु अफगान सेंट्रल बैंक की "घेराबंदी" करने के लिए उठाए जा सकते हैं (यह सुनिश्चित करना कि बैंक के नेतृत्वकर्ताओं के पास ही एकमात्र एवं स्वतंत्र अधिकार और साख हो). इन उपायों में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर बैंक के लेनदेन की निगरानी के लिए स्वतंत्र लेखा परीक्षकों को नियुक्त करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि उपलब्ध कराई गई परिसंपत्ति का उपयोग वैध केंद्रीय बैंकिंग कार्यों, मानवीय सहायता कार्यों और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा हो.

 

मौजूदा प्रतिबंधों में छूट स्थिति में कैसे सुधार ला सकती है?

जहां एक ओर अफगान सेंट्रल बैंक की साख बहाल करना और उसके द्वारा परिसंपत्तियों का इस्तेमाल सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, वहीं तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों के कारण जारी दुष्प्रभावों को दूर करना भी जरूरी है. अमेरिकी ट्रेजरी ने फिर से पुष्टि की है कि तालिबान और इसके कुछ नेताओं पर मौजूदा अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी लागू हैं. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां ​​और सदस्य राज्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों से बंधे होते हैं. सुरक्षा परिषद की संबद्ध प्रतिबंध समितियों की नई कार्रवाइयों या मार्गदर्शन के अभाव में, जिसके लिए अन्य सभी परिषद सदस्यों के सहमति आवश्यक होगी, यह स्पष्ट नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध सेंट्रल बैंक पर लागू होते हैं या अधिकृत लोगों द्वारा नियंत्रित सरकारी कार्यालयों या मंत्रालयों से जुड़े लेन-देन पर लागू होते हैं. यह भी स्पष्ट नहीं है कि अगर सेंट्रल बैंक की साख बहाल की जाती है तो इस पर अमेरिकी और अन्य घरेलू प्रतिबंध लागू होंगे या नहीं. अमेरिकी ट्रेजरी के अनुमति और "आश्वासन पत्र" कई दूसरे वैध लेन-देन, या सेंट्रल बैंक की स्थिति या इसकी साख की समस्या को हल नहीं करते हैं, जो कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने के लिए निहायत जरूरी हैं.

 

अफगानिस्तान में मानवीय संकट को दूर करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

ह्यूमन राइट्स वॉच अनुशंसा करता है कि :

  • तालिबान को अपने मानवाधिकार उल्लंघनों को ख़त्म करना चाहिए, जिनमें मानवीय संकट के लैंगिक प्रभाव को गंभीर बनाने वाली महिलाओं और लड़कियों को लक्षित उत्पीड़नकारी नीतियां शामिल हैं. तालिबान को लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिबंध के फैसले तुरंत वापस लेने चाहिए.
  • दाताओं, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को तालिबान पर दबाव बनाना चाहिए कि वह मानवाधिकारों का उल्लंघन बंद करे और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) और अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत समेत मानवाधिकार निगरानी तंत्र का सहयोग करे.
  • सरकारों, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और तालिबान को चाहिए कि अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली तक पहुंच की अनुमति देने के लिए समझौते का प्रयास करे और इसकी साख को बहाल करे. सेंट्रल बैंक को बाहर के वैध निजी बैंकों के साथ लेन-देन की अनुमति देने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी विभाग और अन्य वित्तीय प्राधिकरणों को लाइसेंस और मार्गदर्शक दस्तावेज जारी करने चाहिए ताकि बैंक वैध निजी जमाकर्ताओं - जैसे यूनिसेफ, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, रेमिटेंस बैंक और अन्य वैध जमाकर्ता - द्वारा डॉलर में जमा की जाने वाली सभी प्रकार की राशि को संसाधित या उसका निपटारा कर सके और साथ ही अफगानिस्तान में निजी बैंकों के लिए वाणिज्यिक नीलामी आयोजित करने हेतु बैंक नोट खरीद सके, जो कि नकद तरलता और वाणिज्यिक गतिविधि बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
  • सरकारों, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और तालिबान को चाहिए कि आवश्यक कार्यों में संलग्न श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान करने और पूरे अफगानिस्तान में बेहद गरीब एवं महिला प्रधान परिवारों समेत लाखों परिवारों को क्रय शक्ति प्रदान करने वाले काम-के-लिए-अनाज़ कार्यक्रम और अन्य खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए भुगतान करने वाले  तंत्र पर तत्काल सहमति बनाएं.
  • यदि सेंट्रल बैंक को शामिल करना संभव नहीं है, तो सरकारों, संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक को चाहिए कि सेंट्रल बैंक से स्वतंत्र निजी बैंकों या अन्य संस्थाओं की सेवाएं प्राप्त करने के लिए तालिबान के साथ अल्पकालिक समझौतों पर बातचीत करें ताकि मानवीय सहायता कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर हो रहे लेन-देन को संसाधित किया जा सके और आवश्यक कार्यों में लगे कुछ मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं एवं काम के बदले नकद कार्यक्रम और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम जैसे अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों संबंधी वेतन के भुगतान को सुगम बनाया जा सके. इन सब की किसी निर्दिष्ट तृतीय-पक्ष ऑडिटिंग संस्था द्वारा निगरानी की जानी चाहिए.
  • इसके बाद, अमेरिकी ट्रेजरी और अन्य प्राधिकरणों को निर्दिष्ट निजी बैंक या संस्था को अनुमति प्रदान करने के लिए मार्गनिर्देश जारी करने चाहिए ताकि वे देश के बाहर अमेरिकी डॉलर खरीदने हेतु मानवीय सहायता एजेंसियों द्वारा जमा इलेक्ट्रॉनिक डॉलर का उपयोग सकें और उसे अंतरराष्ट्रीय निगरानी में काबुल स्थित निजी बैंकों में जमा करने के लिए भेज सकें. रेमिटेंस बैंकों को अतिरिक्त लाइसेंस प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वैध अमेरिकी डॉलर के लेन-देन को सुगम बनाने के लिए सेंट्रल बैंक और निजी बैंकों के साथ समझौते की अनुमति दी जा सके और आवश्यकता होने पर, नकद डॉलर भेजने के मामले में, एक स्वतंत्र लेखा परीक्षक द्वारा निगरानी की जानी चाहिए.
  • किसी भी समझौते के अभाव में, संयुक्त राष्ट्र को चाहिए कि अपने सभी उपलब्ध साधनों के जरिए मानवीय उद्देश्यों के लिए अफगानिस्तान को नकद मुद्रा भेजना जारी रखे. तालिबान को चाहिए कि वह माल परिवहन की इन गतिविधियों के साथ-साथ स्वतंत्र निजी बैंकों में नकद जमा करने और संयुक्त राष्ट्र को स्वतंत्र रूप से एवं बिना किसी हस्तक्षेप के धन का उपयोग करने की अनुमति दे.
  • अमेरिका को अन्य सरकारों के साथ मिलकर तुरंत प्रतिबंध संबंधी नीति की समीक्षा करनी चाहिए, वर्तमान उपायों को तदनुसार समायोजित करना चाहिए और मानवीय संकट को दूर करने हेतु नकदी तरलता सुगम बनाने के लिए नए लाइसेंस और दिशानिर्देश जारी करने चाहिए.
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सदस्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि मानवीय सहायता गतिविधियों से संबंधित वैध वित्तीय लेन-देन और अन्य आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की सूची से बाहर रखा जाए.
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों को भी नए मार्गदर्शन या "कार्यान्वयन सहायता नोटिस" जारी करने पर समझौते को अंतिम रूप देना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय और अफगान संस्थाओं के मानवीय और अन्य आवश्यक कार्यों से संबंधित केंद्रीय बैंक से जुड़े वैध वित्तीय लेनदेन में बाधा उत्पन्न नहीं करें.

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